विलायत पोर्टल : प्राप्त जानकारी के अनुसार सीरिया और इराक समेत मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देशों में आतंक और दरिंदगी का पर्याय बन चुके वहाबी आतंकी संगठन आईएसआईएस और उसके सरगना अबू बकर बग़दादी को अमेरिका , इस्राईल सऊदी अरब समेत उसके घटक देशों का सहयोग प्राप्त था लेकिन हाल ही में अमेरिका ने सीरिया एक इदलिब प्रान्त के समदा क्षेत्र के बारिशा में इस क्रूर आतंकी को मार गिराने का दावा किया है।
अमेरिका के दावे के साथ ही कई सवाल जन्म ले रहे हैं जिनका जवाब किसी के पास नहीं है ।
अभी तक आतंकी संगठनों के मज़बूत किले के रूप में कुख्यात इदलिब में सीरियन सेना के बढ़ते सैन्य अभियान और मज़बूत उपस्थिति के साथ ही अबू बकर का मौत के घात उतरना इस संदेह को बल देता है कि क्या अभी तक इदलिब में छुपे अबू बकर को इस क्षेत्र में छुपने के लिए तुर्की और अमेरिका का सहयोग प्राप्त था?
या अबू बकर की मौत तुर्की और अमेरिका के बीच किसी समझौते का भाग है जिसका एक भाग अमेरिका द्वारा कुर्दों की बलि और सीरिया तुर्की बॉर्डर पर शांति ज़ोन की स्थापना है ।
यह भी संभव है कि सीरिया और इराक पर अमेरिकी दबदबा बनाये रखने के लिए बग़दादी और उसके संगठन की वह हैसियत नहीं रह गयी थी अतः अमेरिका ने बग़दादी को ठिकाने लगा कर इस अवसर को अपने लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करने की नीति बनाई है।
इदलिब को वापस पाने के लिए दमिश्क़ के प्रयास और ठोस क़दमों को देखते हुए अबू बकर बग़दादी के सीरियन सेना या रूस द्वारा बंदी लिए जाने के अवसर थे और अबू बकर की गिरफ़्तारी आईएसआईएस के गठन से लेकर अब तक अमेरिका, सऊदी अरब और इस्राईल द्वारा उसको दी जाने वाली सहायता और इन देशों के काले करतूतों को दुनिया के सामने ले आती अतः अमेरिका एक लिए बग़दादी को मारने के अलावा कोई विकल्प नहीं था ।
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