मिललो नहेल की किताबों में शियों के बहुत से संप्रदाय बयान किए हैं जैसा कि अश्अरी ने शियों को पहले तीन गुटों ग़ालिया, राफ़ेज़ा और ज़ैदिया में विभाजित करने के बाद ग़ालियों के 15, राफ़िज़ीयों के 24 और ज़ै ...
शियों को राफ़िज़ी कहने का कारण यह था कि शिया हज़रत अली (अ.) से स्नेह अभिव्यक्ति करते थे आपकी प्रमुखता व श्रेष्ठता का उल्लेख करते और आपको दूसरों से उत्तम व श्रेष्ठ समझते थे हालांकि अमवी शासकों की दृष्ट ...
हदीसों से यह स्पष्ट हो जाता है कि अली (अ.) के चाहने वालों और उनका अनुसरण करने वालों को सबसे पहले पैग़म्बर अकरम (स.) ने ही शिया कहा है। चूँकि यह परिभाषा पैग़म्बरे इस्लाम के युग में प्रसिद्ध हो चुकी थी ...
इमाम का हर तरह की बुराई छोटे बड़े गुनाह से मासूम होना ज़रूरी है, क्योंकि जो मासूम नहीं होगा और गुनाह करेगा वह लोगों का भरोसेमंद नहीं बन सकता और जब लोगों का उस भरोसा नहीं होगा तो ज़ाहिर है उसकी बात भी ...
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम की बिला फ़स्ल इमामत (अर्थात रसूले इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलिही वसल्लम के बाद, बिना किसी फ़ासले के आपको पहले नम्बर पर उनका उत्तराधिकारी स्वीकार करना) पर यक़ीन र ...
बरज़ख़ में इंसान की जगह और उसकी हालत उसके आमाल के हिसाब से तय होगी, अल्लाह के नेक बंदे और शहीद जन्नत जैसी ज़िंदगी गुज़ारेंगे, जैसाकि क़ुर्आन ने शहीदों के बारे में फ़रमाया है कि जो लोग अल्लाह की राह मे ...
नमाज़ को उसके समय आते ही पढ़ने की अहमियत के बारे में एक सहाबी से पैग़म्बर स.अ. की हदीस नक़्ल हुई है कि आपने फ़रमाया जो भी नमाज़ को उसके समय आते ही पढ़ेगा अल्लाह उसके बदले नौ चीज़ें देगा, 1. वह अल्लाह ...
क़ब्र में दफ़्न होते ही बरज़ख़ की दुनिया शुरू हो जाती है और जैसे ही इंसान क़ब्र में दफ़्न किया जाता है उसी समय यह दोनों फ़रिश्ते क़ब्र में आते हैं, मरने के बाद इंसान कई घंटों बल्कि शुरुआती कई दिनों तक ...
कुछ हदीसों में है कि केवल वह ख़ाक इमाम अ.स. की क़ब्र की ख़ाक कही जाएगी जो इमाम के सर और पाक बदन के पास की हो, जैसाकि इमाम सादिक़ अ.स. फ़रमाते हैं कि, इमाम हुसैन अ.स. के मुबारक सर के पास लाल ख़ाक है जि ...
अरबी डिक्शनरीज़ में शिया शब्द, किसी एक इंसान या कई इंसानों का किसी दूसरे की बात मानना, किसी की मदद व सपोर्ट करना, तथा कहने या करने में समन्वयन और हमाहंगी के मतलब में इस्तेमाल किया जाता है।