सऊदी राजशाही के यमनी लोकतंत्र पर बर्बर और क्रूर हमले।
सऊदी अरब की नीतियां पाखंड पर आधारित हैं सऊदी अरब, इस्लाम के बजाये क़ुरैश के काफ़िरों के पदचिन्ह पर चल रहा है और वह इस्लामी समाज में यज़ीद, मुआविया की संस्कृति थोपना चाहता है।

विलायत पोर्टलः सऊदी अरब की नीतियां पाखंड पर आधारित हैं सऊदी
अरब, इस्लाम के बजाये क़ुरैश के काफ़िरों के पदचिन्ह पर चल रहा है और वह इस्लामी समाज में यज़ीद, मुआविया की संस्कृति थोपना चाहता है। सऊदी अरब अपने पड़ोसी देशों में लोकतंत्र
का गला घूंटने और लोकतांत्रिक ताकतों को तेल व डॉलरों और ताक़त के बूते पर कुचल रहा
है। सऊदी अरब ने बहरैन में लोकतंत्र की मांग करने वाले लोगों पर अपनी सेना थोप कर
लोकतंत्र का गला घोंट दिया।
सऊदी अरब और क़तर के बीच मिस्र के मामले में काफी तनाव पाया
जाता था, सऊदी अरब ने कतर के समर्थित मुस्लिम ब्रदरहुड संगठन को आतंकवादी संगठन बताते
हुये मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड के राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी को उखाड़ फेंका और
उन्हें गद्दी से उतार कर जेल भिजवा दिया। मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थक वहाबी मुल्ला
यूसुफ करज़ावी को देश से निकालने की मांग की और साथ ही कतर को धमकी भी देदी कि अगर
उसने ऐसा नहीं किया तो उसे फार्स की खाड़ी सहयोग परिषद से बाहर निकाल दिया जाएगा। यह धमकी सुनकर कतर के बादशाह शेख हम्द ऑले ख़लीफ़ा बादशाहत से रिटायर हो गए और
उसने अपने पुत्र को राजा बना दिया, बेटे ने सिंहासन पर बैठते हुए सऊदी अरब के अनुसरण
में ही अपनी भलाई समझी।
और करज़ावी से साफ शब्दों में कह दिया कि वह मुस्लिम ब्रदरहुड
का समर्थन छोड़ दें और सऊदी अरब के खिलाफ अपनी ज़बान बंद करें। सऊदी अरब एक तानाशाह
देश है जिसे अपनी ताकत पर नहीं बल्कि अमेरिकी शक्ति पर नाज़ है सऊदी अरब विचारों की
दृष्टि से एक फकीर देश है जो अमेरिका और इस्राईल के इशारों पर नाचता है। सऊदी शासक
अपने राजनीतिक उद्देश्यों और राजनीतिक पद बचाने के लिए साम्प्रदायिक दंगे फैलाते हैं, पहले सऊदिंयों ने अलकायदा को अमेरिका के साथ मिलकर जन्म दिया फिर अलकायदा के कुछ
नेताओं को पकड़वा कर अमेरिका के हवाले कर दिया, फिर अमेरिका
के सहयोग से सीरिया में आईएसआईएल को जन्म देकर बश्शार असद की सरकार को गिराने की नापाक
कोशिश की और फिर इराक़ में आईएसआईएल के खिलाफ दिखावटी अमेरिकी गठबंधन में शामिल हो
गया।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान में जारी आतंकवाद के पीछे सऊदी अरब
का हाथ साबित है और सऊदी अरब ने पाकिस्तान को मजबूत बनाने के बजाय कमजोर बनाने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पाकिस्तान आज भी सऊदी अरब की गलत नीतियों का खामियाजा भुगत
रहा है सऊदी अरब हमेशा अमेरिकी विचारधारा को पाकिस्तान पर थोपता है, इस्लामी स्कॉलरों का कहना है कि सऊदी अरब की नीतियां पाखंड पर आधारित हैं सऊदी
अरब इस्लाम के बजाये क़ुरैश के कुफ़्फ़ार के पदचिन्ह पर चल रहा है और वह इस्लामी समाज में यज़ीद, व मुआविया और बनी उमय्या की संस्कृति लागू करना चाहता है। यमन पर सऊदी अरब और अमेरिकी
सहयोगियों का हमला भी इसी सिलसिले की एक कड़ी है। अलअर्बियह के अनुसार यमन में 100 जंगी जहाज हमला कर रहे हैं जिनमें संयुक्त अरब अमीरात के 30, बहरैन के 8,
मोरक्को के 6, जॉर्डन के 6
युद्धपोत शामिल हैं। लेकिन हवाई हमलों के बावजूद यमन में सउदी
अरब की हार निश्चित है।