असहाब ने नक़्ल किया है कि इस आयत के नाज़िल होने के बाद पैग़म्बर स.अ. हर दिन सुबह की नमाज़ के लिए उठने के बाद जब मस्जिद की तरफ़ तशरीफ़ ले जाते तो रास्त ...
शियों के गयारहवें इमाम हज़रत इमाम हसन असकरी अ.स. 232 हिजरी में मदीना शहर में पैदा हुए, चूंकि आप भी अपने वालिद इमाम अली नक़ी अ.स. की तरह सामर्रा के असक ...
इमाम हसन अ.स. ने अपने वालिद इमाम अली अ.स. की शहादत के बाद ख़ुदा के हुक्म और इमाम अली अ.स. की वसीयत के मुताबिक़ इमामत और ख़िलाफ़त की ज़िम्मेदारी संभाली ...
शैख़ अबू मोहम्मद हसन इब्ने अली इब्ने शोअबा अपनी किताब तोहफ़ुल उक़ूल में में नक़्ल करते हैं: अनसार में से एक शख़्स इमाम हुसैन अ.स. के पास आया और उनसे अ ...
अमेरिका के मशहूर इतिहासकार एप्रोनिक वाशिंग्टन से लिखता है कि: इमाम हुसैन अ.स. यज़ीद के सामने झुक कर अपनी जान को बचा सकते थे, लेकिन इमामत की ज़िम्मेदार ...
यूनान के फ़लसफ़े को अरबी में ट्रांसलेशन कर के लाया जा रहा था जिसके चलते अनेक तरह के संदेह और शक जन्म ले रहे थे, नए नए मज़हब सामने आ रहे थे और एक इल्मी ...
इमाम अ.स. ने यह महसूस कराया कि इंसान होने के हिसाब से सबका मनोविज्ञान और एहसास एक जैसे होते हैं और इमाम अ.स. का यही वह रवैया था जिसने ग़ुलामों के क़ाफ ...
इमाम हसन अ.स. की सन् 40 हिजरी में 37 साल की उम्र में लोगों ने बैअत की और आपने हर किसी से इस शर्त पर बैअत ली कि मैं जिससे सुलह करूंगा उससे सुलह करना पड ...
देखो! यतीमों और अनाथ बच्चों के सिलसिले में अल्लाह से डरते रहो और होशियार रहना कहीं वह भूखे न रह जाएं, और ख़्याल रहे कि वह तुम्हारे होते हुए कहीं भटकते ...
इमाम हसन अ.स. ने सुल्ह की इन शर्तों से माविया को पाबंद भी बना दिया था और उसके अपराध और गुनाहों का इक़रार भी ले लिया था, और दूसरा सबसे बड़ा फ़ायदा यह ह ...
एक इतिहासकार के अनुसार यह वह दौर था जिसमें मुसलमानों ने जंग और चढ़ाई करने के बजाए इल्म और सांस्कृति पर ध्यान दिया, लोग क़ुर्आन और पैग़म्बर स.अ. की ताल ...
आपका एक लक़ब बाबुल हवाएज भी है और इसमें कोई शक नहीं है कि अपनी ज़रूरतों को अल्लाह की बारगाह तक पहुंचाने और वहां से मुराद हासिल करने का दरवाज़ा इमाम मा ...
अहलेबैत अ.स. की सबसे ख़ास उपलब्धि यह है कि पैग़म्बर स.अ. ने उन्हें क़ुर्आन के बराबर क़रार दिया है और उनकी पूरी ज़िंदगी की गारंटी ली है कि वह हमेशा क़ु ...
इमाम अली अ.स. की शहादत के बाद कितने ग़रीबों, फ़क़ीरों, बे सहारा लोगों और मोहताज लोगों को पता चला कि जो हमारे सिरहाने रात में रोटियां रख के जाता था वह ...